हेल्लो दोस्तों अप सभी का स्वागत है हमारे ब्लॉग पर, जहा पर आज हम जानेगे की HOD क्या होता है और इसका क्या मतलब है, और ये कैसे काम करता है , क्या हम भी एक HOD बन सकते है या फिर यूँ कहे की हम भी उसी पोजीशन पर आ सकते है जिस पोजीशन पर HOD है ।
HOD (Head of Department) वो डिपार्टमेंट होता है । जो किस एक स्पेशल फील्ड एक्सपर्ट होता है जैसे की – विद्यालय में principle आदि । ये वो व्यक्ति होता है जो अपने निचे सभी लोगो को मैनेज करता है, जैसा की आप ने तो अपने स्कूल में देखा ही होगा की आपके class टीचर की पूरी जिम्मेदारी होती है की वो आपको अच्छे से पढ़ा सके और सही गलत का फरक भी समझा सके ।
अगर हम आसान शब्दों में कहे तो ये HOD एक ऐसा डिपार्टमेंट है जो एक किसी स्पेसिक फिल्ड में speclist (involve) होता है जैसे की education की फील्ड में एक professor (principle) , एक हॉस्पिटल में एक ऐसा speclist डॉक्टर है जिसके उपर सभी पसेंट्स से लेकर सभी डॉक्टरस की जिम्मेदारी हो ।
HOD का full form “Head of Department“ है । ये एक किसी संस्थान के प्रमुख होते है । जैसे किसी स्कूल में principle आदि ।
HOD का मतलब एक ऐसी ब्रांच जिसके under कई साडी कंपनिया आ सके । चलो मई एक अपनी life क रल example ले लेता हु । मेरे घर के पास एक IPS School है जिसकी बहुत साडी ब्रांच है , उनमे से कुछ ब्रांच delhi में है और कुक लखनऊ में भी है इसक साथ और भी city में है, बुत इन सबका मालिक एक ही है और इन सबका head हमारे यहाँ का स्कूल IPS ही है । अगर किसी भी ब्रांच में कोई भी दिक्कत या प्रोब्लम होती है जैसे की delhi में या फिर लखनऊ में ही कोई प्रोब्लम होगी तो ओ हमारे यह का IPS school ही मैनेज करेगा और लोगो की प्रोब्लम दूर करेगा । अगर कोई सेलेब्रेटी IPS की किसी भी ब्रांच में आता है तो वो भी हमारे यहाँ का Head School IPS ही देखेगा ।
किसी भी संस्था को चलने के लिए किसी एक मुखिया की जरुरत ही होती है, जिसे हम HOD के नाम से भी जानते है , यही वो व्यक्ति है जो आपको और आपके काम को सही से मैनेज करता है जैसे की हमारे घर में हमारे मम्मी – पापा हमारे लिए, जो आपके हमेशा सही रस्ते पर चलने के गाइड करते है और आपकी केयर भी करते है, आपके लिए क्या सही है और क्या गलत,, इस बात की भी परवाह करते है
इस बात से तो आप समझ ही गये होंगे, की एक HOD हमारे लिए एक क्या मायने रखता है
1. विभाग के प्रमुख की प्रमुख भूमिका मजबूत प्रदान करना है अकादमिक नेतृत्व।
2. विभागाध्यक्ष को नेतृत्व, प्रबंधन और विकास करना आवश्यक है विभाग यह सुनिश्चित करने के लिए उच्चतम संभव प्राप्त करता है
अपनी सभी गतिविधियों में उत्कृष्टता के मानक।
3. छात्रों और कर्मचारियों के सामान्य अनुशासन को बनाए रखें विभाग।
4. विभाग के सुचारू कामकाज की निगरानी करना और सुनिश्चित करना अकादमिक माहौल के लिए लगातार प्रावधान।
5. छात्रों को सक्षम बनाने के लिए सभी विभागीय कर्मचारियों को प्रबंधित और प्रेरित करना इस विषय में कुशल शिक्षा प्राप्त करने के लिए, सकारात्मक, उत्साहजनक और प्रभावी कामकाजी माहौल।
6. पाठ्यक्रम के विकास को अद्यतन रखने के लिए सुनिश्चित करने के लिए प्रासंगिक परिवर्तनों के साथ और गतिविधियों की एक विस्तृत श्रृंखला को प्रोत्साहित करने के लिए व्यावहारिक कौशल के साथ विषय को सीखने के लिए।
7. नियमों, पाठ्यक्रम और पाठ्यक्रम को डिजाइन करने के लिए जिम्मेदार।
8. वरिष्ठ प्रबंधन द्वारा आवश्यकता पड़ने पर बैठकों में भाग लेना।
9. स्कूल के डीन के परामर्श से वार्षिक बजट तैयार करें वित्तीय वर्ष के लिए और के अंत से पहले रजिस्ट्रार को जमा करें प्रस्तावित के लिए आवश्यक औचित्य के साथ प्रत्येक वर्ष की जनवरी अतिरिक्त प्रयोगशाला स्थान, यदि कोई हो और उपकरणों की खरीद, मशीनरी, उपकरण, कंप्यूटर, सॉफ्टवेयर, आदि।
10. कक्षा समितियों, वर्ग सलाहकारों, संकाय सलाहकारों की नियुक्ति करें
विभिन्न विभागों और विभागों के आकार के अनुसार विभागाध्यक्षों द्वारा की जाने वाली गतिविधियों की प्रकृति और सीमा अलग-अलग होती है। यह आशा की जाती है कि विभागाध्यक्षों को उनके नेतृत्व की भूमिका में विभाग में अकादमिक और सामान्य कर्मचारियों द्वारा समर्थित किया जाएगा।
एक जीवंत, विविध विभाग को बढ़ावा देने और जब भी संभव हो निर्णय लेने के लिए परामर्शी दृष्टिकोण का उपयोग करके यह स्वीकार करें कि कर्मचारी विश्वविद्यालय में सबसे महत्वपूर्ण संपत्ति हैं।
विभाग में अकादमिक और सामान्य कर्मचारियों दोनों के करियर विकास पर सहायता और सलाह प्रदान करें।
विभाग, डिवीजन और विश्वविद्यालय में योगदान करने वाले उच्च गुणवत्ता वाले कर्मचारियों की भर्ती और उन्हें बनाए रखें।
एक सकारात्मक, समावेशी और कॉलेजियम वातावरण को बढ़ावा देना और बढ़ावा देना जो उच्च स्तर के प्रदर्शन, संचार और टीम वर्क को प्रोत्साहित करता है।
निर्णय लेने में अच्छे संचार और पारदर्शिता के महत्व को पहचानें।
छात्रों और कर्मचारियों द्वारा प्राप्त सफलताओं को स्वीकार और पुरस्कृत करें।
सुनिश्चित करें कि एक प्रभावी परिचालन संरचना और कार्यभार मॉडल विभाग को रणनीतिक लक्ष्यों को प्राप्त करने में सक्षम बनाता है।
अनुसंधान, ज्ञान अनुप्रयोग, विनिमय और अनुसंधान, शिक्षण और सेवा के व्यावसायीकरण में लगे कर्मचारियों और छात्रों की सुरक्षा और भलाई सुनिश्चित करने के लिए प्रथाओं को बढ़ावा देना।
विभाग के भीतर जिम्मेदार वित्तीय, अंतरिक्ष और संसाधन प्रबंधन सुनिश्चित करें और जिस स्कूल/मंडल में यह स्थित है, द्वारा लगाए गए बाधाओं के भीतर विभाग के वित्तीय प्रदर्शन में सुधार के अवसरों का सक्रिय रूप से पीछा करें। इसमें पर्याप्त, विविध फंडिंग आधार हासिल करना और जहां संभव हो नौकरशाही को कम करना शामिल है।
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